संगीत
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|
हो मुखरित सुर साधना, भरे हृदय में प्रीत|
सुर की सरिता से सजे, अंतरमन का साज़|
सुर, गति, लय, ताल से, गूँज उठे आवाज़|
मधुर तान सुनकर सभी, बन जातें हैं मीत|
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|
कण-कण में संगीत से, भरा हुआ संसार|
ध्यान लगाकर सुन ज़रा, ये सुखमय झनकार|
टूटे दिल को जोड़ना, है सरगम की रीत|
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|
जिसके उर में है भरा, सुर की निर्मल धार|
बैर भाव को भूल कर, सबसे करता प्यार|
फर्क नहीं पड़ता उसे, मिले हार या जीत|
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|
-वेधा सिंह