संगीत
तन मन झंकृत हो गया, सुन करके संगीत।
गीतों का संगम हुआ,संग मनोहर मीत।
संग मनोहर मीत, जगत जीवन संचारे।
भाव अनोखे गूंज, गगन गूँजे गुंजारे।
कहे प्रेम कविराय, मगन गीतों में मुनि जन।
रचते नवरस भाव,प्रेरणा पाते तन मन।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम