संगीत ही मेरा साथी
संगीत ही मेरा साथी
संगीत ही मेरा सारथि
गुजरता हूँ जब में
कहीं से भी अकेला
वो लम्हों को अपने
संगीत से मन को
मेरे रोज है भाती !!
रस्ता न जाने कहाँ
कब कब कट जाता है
वो सुरीली धून मुझे
मन को सुना सुना कर
इतना खुश कर देती
है, की न जाने
मैं कहाँ कहाँ
खो जाता हूँ !!
याद में तेरे ओ
सजन मेरे,
रास्ता इतना
मधुर हो जाता है,
की लगता है
जैसे की तेरी याद
नहीं तून हमसफर
बन के साथ निभाता है !!
अजीत तलवार
मेरठ