संगिनी भाग 1
हो शांत दीप के ज्वालो सी
हो गुल गुलजार ख्यालो सी,
हो तुष्टि स्नेह निवालो सी
ऐसे कुछ ऊंचे ख्वाब नहीं,
हो हँसी चमकता चेहरा
गलबन्द का रंग सुनहरा
सिर पर सजे धन सेहरा,
ऐसे ऊंचे अरमान नहीं
चाह है बस संगिनी की
धन से बेचा सामान नहीं
हो शांत दीप के ज्वालो सी
हो गुल गुलजार ख्यालो सी,
हो तुष्टि स्नेह निवालो सी
ऐसे कुछ ऊंचे ख्वाब नहीं,
हो हँसी चमकता चेहरा
गलबन्द का रंग सुनहरा
सिर पर सजे धन सेहरा,
ऐसे ऊंचे अरमान नहीं
चाह है बस संगिनी की
धन से बेचा सामान नहीं