संगरोध ( क्वॉरेंटाइन )
कोरोना वायरस के संक्रमण से हमें यह पता चल गया है कि एक विषाणु कितना भयंकर रूप से हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है। और हमारे समस्त कार्यकलापों पर लगाम लगा सकता है। संक्रमण हमारी समस्त प्रगति एवं उन्नति के पथ पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह लगाकर रह गया है । हम अब तक किसी दिवास्वप्न मे खोए थे उसने हमें झिंझोड़कर जगा दिया है ।और चेता दिया है कि जैविक संक्रमण किस हद तक एक राष्ट्र को पंगु बना सकता है ।यह एक विडंबना ही है कि हमने अब तक इस विषय में इस प्रकार की विभीषिका की स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी जो एक विकट रूप लेकर हमारे सामने प्रस्तुत हुई है। अब तक हम देश की सुरक्षा हेतु रक्षा संसाधनों की व्यवस्था एवं विकास में लगे रहे। हमने परमाणु बम बनाने में अपनी समस्त प्रज्ञा शक्ति एवं वित्तीय सामर्थ्य उपयोग कर विकसित राष्ट्रों के समकक्ष अपने को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया। जिसमें हमें काफी हद तक सफलता भी मिली और देश का मान भी विश्व में बढ़ाया ।हमने अपना अधिकांश समय एवं संसाधनों का उपयोग आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए किया ।इसके अलावा हमारा अधिकांश ध्यान आंतरिक समस्याओं निपटारे में लगा रहा।
वर्तमान जैविक विभीषिका एक अप्रत्याशित रूप से हमारे सामने प्रस्तुत हुई है । जिससे हमने हमारा समस्त ध्यान एवं संसाधनों का उपयोग इससे निपटने के लिए लगा दिया है। यदि गंभीरता से विचार किया जाए तो यह संक्रमण की स्थिति अन्य देशों से भारत आने वाले यात्रियों से प्राथमिक रूप से उत्पन्न हुई है । हमारी व्यवस्था मैं कुछ खामियों की वजह से हम शुरू में इस संक्रमण को रोकने में असमर्थ रहे ।परंतु उसके बाद में हमने जो कदम उठाए उससे कुछ सफलता हमें मिली। परंतु तब तक संक्रमण देश में फैल चुका था ।अतः हम यह कह सकते हैं कि हमारी संक्रमण को रोकने के लिए क्वारनटाइन व्यवस्था चुस्त दुरुस्त नहीं थी। बल्कि हम कह सकते हैं कि कुछ स्थानों पर इसकी खुलकर अवहेलना की गई।
हमने इस विषय को काफी हल्के में औपचारिकता मात्र मानकर व्यवहार किया इसका खामियाजा हमें देश में संक्रमण की भयावह स्थिति से करना पड़ा।
हमारे देश में जनसाधारण के लिए क्वॉरेंटाइन एक नया शब्द था जिसका ज्ञान उन्हें अब तक नहीं था।
इस नवीन परिपेक्ष में यह आवश्यक है कि जनसाधारण में इस विषय में जागरूकता उत्पन्न की जावे और हर स्तर पर इसके महत्व को प्रसारित किया जावे ।शासन द्वारा इस हेतु समग्र जानकारी जनता मे प्रसारित कर एवं इसका पालन न करने पर दंडित करने का प्रावधान का समावेश भी जानकारी में किया जाना चाहिए।
शासन द्वारा विशेष क्वॉरेंटाइन कानून बनाना चाहिए। जिसमें इसके पालन एवं उल्लंघन में दंड के समस्त प्रावधानों का समावेश होना चाहिए।
विदेशों से लाई के समस्त वस्तुओं एवं आयातित सामग्री पर भी यह कानून लागू होना चाहिए। विशेषकर खाद्यान्नों एवं समस्त खाने पीने की वस्तुओं जैसे फल साग सब्जी एवं समस्त डिब्बाबंद खाद्य वस्तुओं पर क्वॉरेंटाइन का कड़ाई से पालन होना चाहिए। क्योंकि कोई भी विषाणु इनके जरिए से देश में प्रवेश कर संक्रमण की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।अतः इससे सावधान होनाअति आवश्यक है। देश के नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वे भी सरकार की संक्रमण रोकने की मुहिम में शामिल होकर इस अभियान को सफल बनाने में सरकार की भरसक मदद करें ।और ऐसा कोई कृत्य न करें और न करने दें जिससे संक्रमण रोकने एवं नष्ट करने मे बाधा उत्पन्न हो।