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28 Aug 2024 · 1 min read

संगम

धरतीक गहराइमे बैसए,
प्रेमक दिव्य सनेस,
वनक छागरमे,
सुने पुरखा केर मधुर आवाज ।

सूरूज किरण बुनैत हे ,
सपना केर रंगीन गीत,
सभ गाछक छाहरिमे,
नुकायल हे भक्ति केर रीत ।

नदीक केर बहैत धारा,
जयसे मोनक प्यास बुझाए,
प्राकृतिक जीनगी केर बीच,
देवनक रस प्रेम भेट जाए ।

आब, एकहि संग चलैत,
प्रेम आ धरोहर केर पग पर,
संघर्ष आ भक्ति के जोड़ैत,
सहर्ष से यात्रीक पथ पर।

—-श्रीहर्ष—

Language: Maithili
38 Views
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