संगदिल सनम
जिस जोश ओ खरोश से थमा था दामन तुम्हारा,
उतना ही बेजार हो कर छोड़ भी दिया ।
जा ! ए संगदिल ! तूझसे हमने हर रिश्ता ए उम्मीद ,
हमेशा हमेशा के लिए तोड़ दिया।
जिस जोश ओ खरोश से थमा था दामन तुम्हारा,
उतना ही बेजार हो कर छोड़ भी दिया ।
जा ! ए संगदिल ! तूझसे हमने हर रिश्ता ए उम्मीद ,
हमेशा हमेशा के लिए तोड़ दिया।