संकल्प
विशाल पंडाल में लोगों की भीड़…”साथियों! भिक्षावृत्ति हमारे समाज का अभिशाप है”….
“कई शिक्षित बेरोजगार भिक्षावृत्ति की ओर प्रवृत्त हैं। ऐसा व्यक्ति सामने आने पर हमें सही मार्गदर्शन देने का संकल्प लेना होगा। हमें इस सेवा से मुंह नहीं चुराना है। यदि हम सब एक-एक इंसान को सही रास्ते पर लाएं तो……
देश से शीघ्र भिक्षावृत्ति पर लगाम लगेगी । ”
“आइये सर्वप्रथम मैं इस शुभ कार्य हेतु संकल्प करता हूँ। ” उद्घाटन समारोह में मंत्री जी का भाषण सुनकर शिक्षित बेरोजगार संजय सपनों की उधेड़बुन में उलझने लगा।
” आशा की एक किरण………… ”
भाषण के पश्चात्..मंत्री जी आगे बढे़ कि अचानक एक फटेहाल शिक्षित युवक हाथ फैला कर भीख मांग कर गिड़गिड़ाने लगा।
“अरे! दूर हट “… कीमती सूट बचाते वे पीछे हट गये।
“ऐसे लोगों को अंदर कैसे आने दिया गया। ” सुरक्षा कर्मियों से उसे तुरंत पुलिस को सौंपने की हिदायत दे गाड़ी में बैठकर चले गये। वे अपने संकल्प को पूरा करने के पूर्व यहीं दफना गये थे।
संजय भिखारी के भेष में थाने में बैठा आज अपनी भूल पर पछता रहा है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित, अप्रकाशित व मौलिक रचना
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