संकल्प के विरुद्ध
कृत संकल्प के विरुद्ध, हुवा जो तुझसे कार्य |
किमत चुकानी पडेगी, नरक मे तुझे आर्य ||
पाप करते क्यो नही तु, करता सत्य विचार |
ऐसी घटिया सोच को, करे सदा धिक्कार ||
लज्जा क्यो न आये तुझे, करे मन मे विचार|
क्यो व्यर्थ पाप कामाता, सुधार अपनी चाल ||
विषयो से कब भरा था, रे पापी मन सून |
भोगो में आसक्त हो, न लगा अपनी धून ||