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22 Sep 2024 · 1 min read

संकरी पगडंडी कभी

संकरी पगडंडी कभी
कभी चौङी सङक
घोङा गाङी कभी
कभी पग पग

ये नित नये से रास्ते
बने जो तेरे वास्ते।

दृत गति से कभी
कभी आशाहीन
भरे कभी विश्वास से
कभी उम्मींदें जींर्ण।

ये नित नये से रास्ते
बने जो तेरे वास्ते।

चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)

Language: Hindi
14 Views
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