श्वेत पद्मासीना मां शारदे
श्वेत पद्मासीना मां शारदे
वीणा के स्वर आज
फिर से संवार दे।
जागृति हो मन की
दिशा हो प्रकाशित,
ज्ञान कुञ्ज महके
देश हो सुवासित।
कलुषता मिटे मन की
मृदुलता का दान हो,
निस्वार्थता सत्य व्रत
धर्म का विहान हो।
अहं भाव मिटे मन से,
सर्वार्थ ही प्रधान हो,
निश्छल सौहार्द का
सुहावना प्रभात हो।
है तमस भरा यहां
तू श्वेत वर्ण रंजित,
हर तिमिर अज्ञान का
कर ज्ञान से सुसज्जित।
मां शारदे है प्रार्थना
कर वीणा तार झंकृत,
हो भावमयी जागृति
ये देश हो सुसंस्कृत ।