श्वेतानन सुरपूजिता
श्वेतानन सुरपूजिता, सकल सुखों के सार।
सुधामूर्ति सौदामिनी,हर लो सभी विकार।।
हर लो सभी विकार,सुनो विनती हे अंबा।
उर में भरो प्रकाश,जगत जननी जगदंबा।।
ज्ञान बुद्धि से युक्त,करो कुसुमित उर कानन।
नमन हजारों बार,श्वेतवर्णी श्वेतानन।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली