श्लोक
नमः श्रीविश्वनाथाय देववन्द्यपदाय ते
काशीशेशावतारो मे देवदेव ह्युपादिश।
मायाधीशं महात्मानं सर्वकारणकारणम्
वन्दे तं माधवं देवं य: काशीं चाधितिष्ठति।।
(श्रीकाशीविश्वेश्वरादिस्तोत्रम्,१-२)
अर्थ:-
हे देवदेव! आपने काशी में शासन करनेके हेतु मङ्गलमूर्ति शिवके रूप में अवतार लिया है।आप विश्वके नाथ हैं,देवता आपके चरणों की वन्दना करते हैं,आप मुझे उपदेश दें,आपको नमस्कार है।
जो मायाके अधीश्वर हैं, महान् आत्मा हैं,सभी कारणों के कारण हैं और जो काशी को सदा अपना अधिष्ठान बनाते हुए हैं,ऐसे उन भगवान् माधवको मैं प्रणाम करता हूं।’
??शुभप्रभात??
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