श्रृद्धांजलि : अज़ीम फ़नकार ऋषि कपूर
एक कलाकार जिसने अपनी कला विरासत मे पाई।
बचपन से ही जिसके रग रग में थी अदाकारी समाई।
जिसने अपने अज़ीम फ़नकार वालिद से तरबिय़त पाई।
अदाकारों के घराने से होकर भी बड़ी श़िद्दत से अपनी एक अलग जगह बनाई।
हर किरदार में जान डाल देने वाली अदाकारी से सामईनों के दिल में जगह बनायी।
चाहे हो वो किरदार दीवानी उल्फ़त के या हों संजीदा मोहब्बत के हर जगह अपनी एक अलग पहचान बनायी।
चाहे वो हों किरदार भाई से भाई के प्यार के या हों
माँ से दुलार के या हों बग़ावती जुनून के हर किरदार में अदाकारी की श़िद्दत नजर आयी।
उसका हर किरदार अपनी एक अलग छाप छोड़ गया।
जिसने देखा उसे उस किरदार में उसका मुरीद बन कर रह गया।
वक्त गुजरते उसने हर किरदार निभाए।
रफ्त़ा रफ्त़ा कुछ लीक से हटकर भी उसने कुछ किरदार कर दिखाए।
उसमें बहुत कुछ कर दिखाने की हस़रत थी।
पर उसकी नासाज़ सेहत नहीं उसके माफ़िक थी।
हार गया वो एक रात जंग मर्ज़ की लड़ते लड़ते ।
फ़ना हो सितारों में गुम़ हो गया दिन निकलते निकलते ।