श्रृंगार
सृष्टि का करता सृजन
स्वयं सौंदर्य का आधार है ,
विध्वंस और निर्माण जिसकी
दृष्टि का चमत्कार है ,
अवतरित हुआ धरा पर
नित्य करने नव अनुभूति ,
स्वयं करता सृष्टि रचियता
सृष्टि का श्रृंगार है