श्रृंगार मोहब्बत
मुक्तक – श्रृंगार मोहब्बत
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तू मंजिल बन जहाँ बैठी,वहीं तो राह है मेरी ।
तेरा ही प्यार मैं पाऊँ, यहीं तो चाह है मेरी।
तेरे बिन मैं अधूरा हूँ, अधूरे है सभी सपने।
मेरे जीवन की नैय्या में, तु ही मल्लाह है मेरी ।
तुझे देखूँ तो लगता है,मोहब्बत की तू मूरत है।
तेरे बिन मैं कहाँ कुछ भी,तू ही मेरी जरूरत है।
सभी कहते है मुझको,यार तेरी दिलरुबा हमदम।
नगीनों से भी बढ़कर के,बहुत ही खूबसूरत है।
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🇮🇳🇮🇳डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”✍️✍️🇮🇳🇮🇳