श्री सीता सप्तशती
।।जय श्री राम ।।
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श्री सीता सप्तशती
(काव्य-कथा)
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षष्ठ सोपान
{ श्री भरत जी से चित्रकूट में मिलन }
गतांक से आगे ….!
अंक- १११
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भूमि सुता वैदेही हैं माता जगदम्ब भवानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।
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सुनो तात ! क्या बात बताओ ? कुछ तो मुख से बोलो,
क्यों अधीर क्रोधित हो इतने ,मन की घुंडी खोलो,
भरत भ्रात के लिये शब्द , बोलो तो पहले तोलो,
भरत गंग में अपने मन का ,मैल कभी भी धोलो ,
भरत समान न भाई दूजा , गूँजी प्रभु की वानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।१५
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नहीं नाथ ! मुझको बतलाया ,सेना भैया लाया ,
क्यों नहीं लाता ,आखिर तो है ,कैकेयी का जाया ,
आज न छोड़ुंगा मैंने भी ,क्षत्रिय कुल है पाया ,
बाणों से छलनी कर दूँगा, मैं ने धनुष उठाया ,
तभी भरत आया खोया सा ,कंठ न निकले वानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।१६
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साष्टांग करके लिपटा, प्रभु के चरणों से आकर ,
चिपका लिया भरत को प्रभु ने अपने हृदय लगाकर ,
डकराने वह लगा राम की शीतल छाया पाकर ,
फट जायेगा आज कलेजा ,उसका बाहर आकर ,
भरा बाँह में भरत प्रभू की रुँधी कंठ में वानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।१७
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भैया मुझे क्षमा कर दीजे, मेरी मात अभागी,
उसके दुष्कर्मों ने मुझको , बना दिया प्रभु दागी ,
मैं तो हूँ चरणों का सेवक ,राम राह अनुरागी ,
मेरे कारण भोग रहे दुख, हूँ मैं अति दुरभागी,
नहीं नर्क में मिल पायेगा भैया मुझको पानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।१८
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क्यों विधना ने कैकेयी को मेरी मात बनाया ?
उसकी काली कोख से भैया मुझको जन्म दिलाया,
बड़ा अभागा तुमको मेरे कारण वन भिजवाया ,
नहीं चाहिये राज-पाट, धन-दौलत, वैभव-माया ,
भैया-भाभी के चरणों में बीते ये जिंदगानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।१९
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क्रमशः……!
-महेश जैन ‘ज्योति’
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