श्री राम
अधर्म को मिटाने, धर्म को बढ़ाने,धरा पर राम आये,
रघुकुल के नायक, दशरथ के नंदन, सबके मन को भाये,
चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि मध्य दिवस था पावन,
धरा मुस्कुराई गगन में गूंजे जयकारे, हर्षित हुआ हर जन,
सुन पुकार भक्तों की,त्रेता में भगवन धरा पर आये,
सिखाने मर्यादा का पाठ स्वयं प्रभु अयोध्या में पधारे,
था कोलाहल पाप का चहुँओर पीड़ित संत समाज,
करने विनाश राक्षसों का लेकर धर्म का आगाज़,
ऋषि विश्वामित्र के काज हेतु सहज ही चले भ्राता संग,
ताड़का सुबाहू को दिया दण्ड, जो ऋषयो को करते थे तंग,
अपने पावन चरणों से अहिल्या को तारा,
थे सुकुमार दोनों फिर भी बड़े राक्षसों को मारा,
खेल खेल में शिव धनु को तोड़ा,
जनक दुलारी जानकी से रिश्ता जोड़ा,
पिता वचन हेतु वन को चले,
मंथरा और केकई से गए छले,
चित्रकूट में किया भरत मिलाप,
मन्दाकिनी तट पर स्वजन का हरा संताप,
उनकी लीला का कैसे करें हम बखान,
दशरथ नंदन मर्यादा पुरूषोत्तम राम हैं महान,
जय राम।।जय राम।।जय श्री राम।।।
।।।जेपीएल।।।