श्री राम स्तुति
तेरे नाम किया है दिल को
अब जान भी करेंगे
आकर दर पर तेरे सुबह शाम
तेरा नाम ही भजेंगे।।
किया है तीनों लोकों को रोशन
तेरे साथ ही चलेंगे
हमको भी तार देना भवसागर
तेरे द्वार ही रहेंगे।।
है नहीं मीठे फल शबरी के जैसे
तुझको भेंट क्या करूं
है जो कुछ भी वो तेरा दिया है
तुझको भेंट कैसे करूं।।
राजा नहीं है केवट के जैसे हम
अब नाव कहां से लाऐं
तुझे तारे जो भवसागर तारने वाले
वो नाव कहां से लाऐं।।
हे रघुनंदन! हे कौशल्यानंदन! अब तुम
सुन लो मेरी विनती
कृपा बनाए रखना हमेशा हम पर
है बस यही विनती।।
है तू दयालू है तू उदार सबके लिए
पाप धुल जाते है नाम लेने से तेरा
हो जाए गलती भूल से माफ़ कर देना
भक्त लेता है सुबह शाम बस नाम तेरा।।
दो चरणों में शरण हमें भी तुम
अपना हनुमान बनाओ
शरण में तुम्हारी तर गया बालि भी
हमें भी बैकुंठ पहुंचाओ।।