श्री राम जी से
आपके रूपों का हजारों वर्णन है।
पर श्री राम सा कोई नहीं।
मेरे भावों का अर्पण,
परख लीजिए ये समर्पण।
दारुण दुर्गति लिए खड़ी है, नारी
कब होगा आपका कलकि अवतार
संसार में विष व्याप्त है।
मझधार में है नारी ,
इंतजार में है नारी,
दारुण दुर्गति लिए खड़ी है, नारी।
अहिल्या हुई थी पाषाण की,
वो भी ऋषि की पत्नी थी दुलारी।
समय ने करवट बदली
प्रेम की जगह श्राप
जो आज भी नारी के लिए जारी है
दारुण दुर्गति लिए खड़ी है,नारी
कर दें इनका उद्धार ।
-डॉ सीमा कुमारी।15-10- 024की स्वरचित रचना है मेरी।