श्री राम जी को समर्पित
वन्दित पूजित राजित हृदये प्रेमाभूषण राम।
रंजित अंजित सज्जित चक्षु दिव्यदृष्टि युत राम।।
अर्पित वाँछित अर्चित वर्णित यथा वेद में राम।
हर्षति नृत्यति मनसा मोहित रूप राशि गुणधाम।।
सर्वगुणाधिप प्रभु चरनामृत काटत भव के ताप।
रुचिर मधुर शबरी के बेरी मनभावत है आप।।