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14 Aug 2021 · 1 min read

श्री राम गुणगान (गीत)

श्री राम गुणगान (गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
राम हमारे आदर्शों के शुभ पावन प्रतिमान हैं
(1)
पिता और माता के चरणों पर धरते थे माथा
वीर – भाव में रची-बसी जिनकी सुसंस्कृत गाथा
विश्वामित्र ले गए आकर अपने यज्ञ बचाने
एक नई पटकथा शौर्य की लिख दी इसी बहाने
दुष्ट ताड़काओं के वध जिनके सुंदर अभियान हैं
(2)
तोड़ा शिव का धनुष सिया ने विजयमाल पहनाई
सियाराम का संबोधन ज्यों ,मधुर बजी शहनाई
राजा दशरथ ने इच्छा , राज्याभिषेक की गाई
किंतु वनगमन लिखा नियति का ,निर्णय दिया सुनाई
कहा राम ने राजा या वनवासी एक समान हैं
(3)
वन में मित्र बनाया अंगद , बाली को फिर मारा
ऊँच – नीच का भेद बेर शबरी के आगे हारा
मिले भक्त – हनुमान जगत में यह अद्भुत बलशाली
इनके मन में बसे राम इन की हर बात निराली
रामसेतु के तैरे पत्थर वैज्ञानिक अभिमान हैं
(4)
लड़ा युद्ध रावण से अपहृत सीता गई छुड़ाई
किंतु नहीं सोने की लंका देख जीभ ललचाई
सौंपा राज्य विभीषण को यह कहकर इसे सँभालो
कहा हृदय से लोभ-दृष्टि को नहीं स्वर्ण पर डालो
बोले जननी – जन्मभूमि ही सबसे उच्च महान हैं
राम हमारे आदर्शों के शुभ पावन प्रतिमान हैं
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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