श्री राम के आदर्श
पहुंचे है भगवान आज
अपने निज धाम
जलाओ दीप घर में आज
आए हैं प्रभु राम
किया अधर्म का विनाश भी
मांगे रावण भी जीवन की भीख
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का
आचरण ही है उनकी असली सीख
राज पाठ को त्यागकर
गए थे वो वनवास
बढ़ गया था अधर्म जब
प्रभु से थी बस आस
मारा था जब खर दूषण को
हो गया था आभास
अयोध्या वासियों सहित देवों को भी
उन पर था पूर्ण विश्वास
चाहते जो वो अगर सीता जी को
तुरंत लंका से वापिस ले आते
तोड़ देते मर्यादा इंसान की अगर
मर्यादा पुरुषोत्तम कैसे कहलाते
मंज़िल ही नहीं रास्ता भी धर्म का हो
चाहे उसमें कितने ही कष्ट हो
सीख दी है श्री राम ने सत्य पर चलने की
चाहे सत्य की राह में कितने ही कष्ट हो
अधर्म कितना ही ताकतवर हो
उससे दूर ही रहना चाहिए
सुग्रीव और बालि में चुनना हो तो
सुग्रीव को ही चुनना चाहिए
वस्तुओं की कीमत की नहीं,
भावनाओं की कद्र होनी चाहिए
राजा महाराजाओं से करीबी ही नहीं
केवट की भी कद्र होनी चाहिए
आत्मसाध कर लें कुछ गुण
श्री राम के अगर हम
दिवाली मनाना सार्थक होगा
मिट जायेगा जीवन से तम।