* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *
ज्ञानदायिनी वेद धारिणी , वीणापाणी हे ब्रह्माणी |
नमन करो स्वीकार शारदे, शुद्ध लेख मानस वाणी ||
सुरभि सी प्रसरित भुवन में –
तुम ज्ञानानिल हो जो बहो |
बुद्धिनिपुण हों ज्ञानधारी –
जन, कृतार्थ बड़भागी अहो ||
हो ज्ञानमय पावन धरा यह –
सदमार्ग, सत, सत्कर्म हों |
भाग्य फलित वह कृत्य हों –
कृत्यों में शोभित धर्म हों ||
कृत्यों में शोभित धर्म हों……………………………
– स्वरचित (मौलिक) @@@ लक्ष्मण बिजनौरी (लक्ष्मीकान्त)