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2 Sep 2024 · 1 min read

श्री चरण नमन

साकार तू निराकार , महिमा बड़ी अपार
सकल जगत में व्याप्त तू , सकल सृष्टि आधार।।

कोटि कोटि आकाश में ,कोटि कोटि संसार
कोटि कोटी प्रणाम तुम्हें, हे जग पालनहार।।

नभ धरा जल वायु बना,दिया तत्व का नाम
अग्नि प्रचंड प्रताप से ,जग का है कल्याण।।

भाषा वुद्धि विवेक से, मानव है धनवान
विनय रहित प्रयोग से, वही है पशु समान।।

सुन्दर तन सौष्ठव दिया,बना दिया गुणवान
गज विशाल को बांध ले , यही मनुज वरदान

कुल प्रकृति निःशुल्क दी ,किये बहुत उपकार
सबकुछ हेत मनुष्य के,प्रेम भरा उपहार।।

श्री चरण में नमन करूँ ,करो नाथ स्वीकार
रोम रोम मेरे बसो, हरौ कलेश विकार ।।

Language: Hindi
1 Like · 30 Views
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