श्री कृष्ण कथा सार ..नंदोत्सव
!!श्री कृष्ण!!
श्री कृष्ण कथा सार
०००
रसिया
००००००
गूँजी लाला की जयकार , गोकुल की कुंज गलिन में ।
गोकुल की कुंज गलिन में, रे गोकुल की कुंज गलिन में ,
है रही लाला की जयकार , गोकुल की कुंज गलिन में ।।
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यशुदा ने लाला जायौ ,
शुभ दिन गोकुल में आयौ ,
झूमें नाचें रे नरनार , गोकुल की कुंज गलिन में ।
है रही……..(१)
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ब्रजवासी दौड़े आये ,
मिल गाये गीत बधाये ,
है रहे सकल मंगलाचार , गोकुल की कुंज गलिन में ।
है रही ……..(२)
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नँदबाबा मन हरषायौ ,
मीठौ-मीठौ मुसकायौ,
बाधी पगड़ी तुर्रादार , गोकुल की कुंज गलिन में ।
है रही ……..(३)
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यानै खोलौ कोष लुटायौ,
उर फूलौ नाय समायौ,
द्वारन बाँधीं बंदनवार , गोकुल की कुंज गलिन में ।
है रही …….(४)
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यशुदा ने उर चिपकायौ ,
अँचरा ढक दूध पिवायौ ,
रोहिणि जाय रही बलिहार ,गोकुल की कुंज गलिन में ।
है रही……..(५)
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यानै लाला जायौ कारौ,
कछु मोटे नैना वारौ,
याके घँघरारे सिर बार , गोकुल की कुंज गलिन में ।
हॆ रही……..(६)
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क्रमशः…..!
-महेश जैन ‘ज्योति’
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