*श्री उमाकांत गुप्त (कुंडलिया)*
श्री उमाकांत गुप्त (कुंडलिया)
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निर्मल मन सात्विक सरल, शुचिता के भंडार
बच्चों-से छल से रहित, सरल सौम्य व्यवहार
सरल सौम्य व्यवहार, काव्य के जीवन दाता
विद्यालय निर्लोभ, चलाना सुंदर आता
कहते रवि कविराय, बहे ज्यों नदिया कल-कल
उमाकांत जी गुप्त, धार गंगा की निर्मल
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451