श्रीहरि
मतगयंद सवैया
श्री हरि
दीनन के तुम दीनदयाल, रखो हस्त शीश सदा वरदाई।
मैं नहीं जानत कौन विधी, कर पूजन खूब करुं बड़याई।
बालक हूं अनजान सदा अब, नाथ तुम्हीं पग हाथ बढ़ाई।
नाथ हरो विपदा अब मोर, करूं विनती अब होत सहाई।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।