श्रीराम
राम ही तो मोह हैं और राम ही हैं त्याग भी
राम ही विराग हैं और राम ही हैं राग भी
जहाँ जहाँ है दृष्टि जाये वहाँ वहाँ श्री राम हैं
बंद नेत्रों में भी तो दिखते वही अभिराम हैं
है कौन सी जगह यहाँ जो राम नाम रिक्त है
सृष्टि का हर कण यहाँ बस राम नाम सिक्त है
पुरुष से पुरुषोत्तम की राह दिखाते राम हैं
संसार की हर शय को आदर्श बनाते राम हैं
धूप बारिश अनल अनिल राम ही तो छाँव हैं
भटके हुए हर प्राणी की राम ही तो ठाँव हैं
राम ही तो बल भी हैं और राम ही बलवान भी
राम ही संसार हैं और राम ही भगवान भी
सुरेखा कादियान ‘सृजना’
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं💐 🙏