श्रीराम कृपा रहे
श्रीराम विष्णु के अवतार है,
श्रीराम जीवन के आधार हैं।
मात कौशल्या पिता दशरथ,
राम का स्मरण है सुन्दर पथ।।
श्रीराम जी भक्त हितकारी है,
वो सुनते अरज नित हमारी है।
नित ही श्रीराम सुमरे जो कोई,
ता सम भक्ति और नहीं भाई।।
हनुमंत सो श्रीराम दूत तुम्हारा,
श्रीराम ही कर कल्याण हमारा।
ऋषि-मुनि श्रीराम पार न पावैं,
राम ही कहै श्रीराम गुण गावैं।।
श्रीराम चरित्र जम्भवाणी गावै,
हनुमंत सम भक्त और न पावै।
बने सभी हम भरत सम भाई,
करें हम लक्ष्मणसम सेवकाई।।
महालक्ष्मी सीता स्वरूप धारा,
सीता-राम जप भवपार हमारा।
‘पृथ्वीसिंह’ पर रहे कृपा तुम्हारी,
अष्टसिद्घि नव निद्घि सर्वतिहारी।।