श्रीमान पति महोदय
श्रीमान पति महोदय
समर्पित है आपको ये काव्य,
शिकायत नहीं, उद्गगार है
बाकी, रिश्तों में तो प्यार है ।
राजनीति पर इतनी टीका टिप्पणी
दशकों पुराना भरा है ज्ञान
कल मैंने क्या कहा था पूछो तो
टक टकी लगा देखते है, हैरान ।
गणित के महारथी,
सुडोकू के उस्ताद है
सालगिरह, जन्मदिन,
बस इन तारीखों में अपवाद है।
दस साल पुरानी साड़ी पहनो तो
आवाज आती है, “ओहो, नई साड़ी”
और जवाब सुनकर झेंपते है
“तुम पर नई सी लगती है, मेरी दुलारी”।
तारीफ करने और पहाड़ चढ़ने
में ज्यादा फर्क नहीं
हम्म और हां के आगे
कैसे टिके तर्क कोई ।
कैसे समझाऊँ, साड़ियाँ और ज़ेवर,
पत्नी के लिए ऑक्सीजन है,
कपड़ों में वैरायटी होना,
आज का लेटेस्ट फैशन है ।
खाने की तारीफ करना,
कभी-कभी लाज़मी है,
“सब अच्छा बना है”,
बोलने वाले, ये कैसे आदमी है ।
मोबाइल और गाड़ियों के
लेटेस्ट मॉडल है पता
पूछो मेरे मन का हाल
तो बता देते है, धत्ता ।
आये जो मुश्किल तो
होते खड़े सीना तान,
आओ बातें करते हैं,
सुनते ही अंतरध्यान ।
बनाने वाले ने भी इनको
क्या खूब बनाया है,
अरधांगिनी क्या चाहती है,
इतना भी नहीं समझाया ।
रोज़मर्रा की भागदौड़ में
इतने मसरूफ हो गए,
बेहद ज़रूरी हास्य व्यंग,
जाने कहाँ खो गए ।
ज़िंदगी की छोटी-छोटी बातों
पर भी ध्यान दीजिए
कभी साथ बैठ कर हंसिए
कभी मजाक भी कीजिए ।
सुन के अनसुना ना करें
मेरे दिल से निकले विचार है
शिकायत नहीं,उद्गार है
बाकी, रिश्तों में तो प्यार है ।
चित्रा बिष्ट