श्रीभगवान बव्वा के दोहे
श्रीभगवान बव्वा के दोहे
जून 27,2019.
एक बार ही था पिया, शिव ने विष का घूंट ।
लोग रोज हैं पी रहे, जैसे जूस फ्रूट ।1।
राजा को फुर्सत नहीं, मंत्रीगण नाराज़ ।
द्रोपदी सी है खड़ी, जनता बेबस आज ।2।
सोच समझ लिख लेखनी, दुर्घटना का दौर ।
कह रहे सभी भेड़िए, दिल मांगे है मोर ।3।
सांस अटकने जब लगी, हुआ खड़ा परिवार ।
कोई मांगे खेत तो, कोई मांगे कार ।4।
जीवन भर धन जोड़ के, बना जो धन्ना सेठ ।
धेला तक न साथ रहा, गया बदन जब ऐंठ ।5।
भाई भाई से लड़ा, रहा पड़ोसी सोच ।
दोनों को छोड़ूं नहीं, अब मैं लूंगा नोच ।6।
रोज ठोकते पीठ जो, नहीं करेंगे पार ।
बस अपने ही साथ दें, जब हो जाती हार ।7।
कड़ी धूप में ढूंढते, गहरी, ठंडी छांव ।
अक्सर मां की याद में, वो आते हैं गांव ।8।
-श्रीभगवान बव्वा