श्रीकृष्ण जन्म…
कृपाण घनाक्षरी (श्रीकृष्ण जन्म)…
मैया की पीन पुकार,
सुनते थे बारंबार,
करने पाप संहार,
आए स्वयं इस बार।
छुपी प्रलय वृष्टि में,
हलचल थी सृष्टि में,
दृश्य अद्भुत दृष्टि में,
हुए जो प्रभु साकार।
द्वारपाल सब सोए,
आगत नैन संजोए,
वक्त हार-पल पोए,
खुल गए सारे द्वार।
मिला मुक्ति का संदेश,
दिखा नया परिवेश,
हर्षित देव-देवेश,
करते जै जयकार।
२- हे प्रभु मुझे उबार….
अद्भुत यह संसार ,
समझ न आए पार,
फँसी नाव मझधार,
कर प्रभु बेड़ा पार।
लेकर धर्म की आड़,
करें सभी खिलवाड़,
मिटाए मिटे न राड़,
बढ़ रहा अँधियार।
सबकी अपनी शान,
सबका अपना मान,
सभी हैं गुणों की खान,
करते धन से वार।
बढ़ रहे अत्याचार,
मची कैसी मारामार,
मिटा जगती का भार,
हे प्रभु, ले अवतार।
३-
आ गयी मैं तेरे द्वार,
करूँ श्याम मनुहार,
सुन ले पीन पुकार,
कर दे रे बेड़ा पार।
तू ही जीवन आधार,
तुझसे ही ये संसार,
है तू ही खेवनहार,
थाम मेरी पतवार।
अद्भुत रचा प्रपंच,
दिखाई दया न रंच,
कैसा रे, तू सरपंच,
है सत्य जहाँ लाचार।
कोई नहीं सच्चा मीत,
झूठी है सबकी प्रीत,
कैसे निभे कोई रीत,
घिरा घना अँधियार।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ0प्र0)
” मनके मेरे मन के ” से