श्राद्ध पक्ष
श्राद्ध पक्ष
घनाक्षरी छंद
कभी नहीं जाना हाल जरा ना किया ख्याल
बीमारियां पिताजी को आती रहीं घेर घेर
सेवा कार्य नहीं किया मौका देख भाग लिया
नहीं सहयोग दिया गया मुख फेर फेर
अंत का समयआया आग भी लगा न पाया
ससुराल वालों से मिलाता रहा मेर मेर
व्यंजनों को सानकर आज बाप मानकर
कौवों को खिला रहा है वही पुत्र टेर टेर
गुरू सक्सेना नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)