श्राद्ध और श्रद्धा
श्राद्ध है
श्रद्धा
करों मन से
है नहीं कोई
जबर्दस्ती
अपने कर्म
अपने साथ हैं
अच्छा बुरा
यहीं रह जाता है
नाम अच्छा बुरा
रह जाता है
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
श्राद्ध है
श्रद्धा
करों मन से
है नहीं कोई
जबर्दस्ती
अपने कर्म
अपने साथ हैं
अच्छा बुरा
यहीं रह जाता है
नाम अच्छा बुरा
रह जाता है
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल