श्रम साधिका
हे ….श्रम साधिके,नमन तुझे
परिश्रम करती नारी
घर परिवार संवारती
धैर्य, संयम की पराकाष्ठा
स्व विश्वास को निहारती
प्रसन्न दिखे जब अपने
हंसती,खिलती बुनती सपने
प्रेम,समर्पण में बंध करके
कहती!गठबंधन की आन मुझे
हे… श्रम साधिके,नमन तुझे ।
स्वरचित/मौलिक
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
नारायणपुर,प्रतापगढ़ उ.प्र.