श्रम मेरी साधना है — मनहरण घनाक्षरी
श्रम मेरी साधना है,कर्म ही आराधना है।
इनकी उपासना से,फल तो मै पाता हूं।।
समय से उठ जाऊं,काम पे मै चला जाऊं।
लौटकर झोपड़ी में, खाना मै पकाता हूं।।
खाट मेरी चाहे टूटी,हाथ में न कोड़ी फूटी।
पीकर चैन की बूटी,लोगो सो मै जाता हूं।।
नाम सब मेरा लेते,मुझको न कुछ देते।
रोटी मेहनत की तो, कमाके मै खाता हूं।।
**श्रमिक दिवस पर मनहरण घनाक्षरी छंद**
“”सभी श्रमिक भाई बहनों को श्रमिक दिवस की बहुत-बहुत
शुभकामनाएं “”
राजेश व्यास अनुनय