श्रमवीर
श्रम के साधको की है ये कहानी निराली।
कैसे मिशन जिन्दगी से जिंदगी निकाली।
जिनके श्रम से बनते बंगले महल अटारी।
उन्हीं श्रमवीरो की टनल कहानी निराली।।
कुदरत कोप फँसे वीर, सिलकयारा टनल में।
आशा के बल से सत्रह दिवस बीते हल में।
ड्रिलिंग मशीनों से भी राह पार न हो पाये।
तब श्रमवीर ही श्रमवीरो को ले बाहर आये।
रेट माइनरों ने वह युक्ति थी जो निकाली।
कैसे मिशन जिन्दगी से जिंदगी निकाली।।
नूतन नव विकास, नींव प्रस्तर की साधना।
जगमग जीवन साधन, इनकी ये आराधना।
श्रम की हो पूजा, श्रमवीरो की सच्ची कहानी।
इन्हीं वीरो से ही जुड़ी हर विकास की जुबानी।
संयम और विश्वास से जीवन जंग जीता ली।
कैसे मिशन जिन्दगी से जिंदगी निकाली।।
श्रम के साधको की है ये कहानी निराली—-
(लेखक- डॉ शिव ‘लहरी’)