श्रध्दा हो तुम …
आँखें मुँद कर खुद को ,
समर्पित करू वो विश्वास हो तुम ,
अंतरंग की गहराईयो को छुके ,
अनगिनत एहसासों के बादल ,
मोरपंख की तरह रूह छुँ जाये वो
वो श्रद्धा हो तुम …
आँखें मुँद कर खुद को ,
समर्पित करू वो विश्वास हो तुम ,
अंतरंग की गहराईयो को छुके ,
अनगिनत एहसासों के बादल ,
मोरपंख की तरह रूह छुँ जाये वो
वो श्रद्धा हो तुम …