श्रद्धा सुमन (महात्मा ज्योतिबा फुले के लिए)
जीवन जिसका ज्योति पुंज है।
मन गंगा जल धारा है।।
ऐसे प्यारे महापुरुष को।
शत शत नमन हमारा है।।
कर्म भूमि जिसका समाज है।
सत पथ अविरल धारा है।।
भेदभाव और छुआछूत को।
जिसने दूर बिसारा है।।
नारी दशा सुधार कार्य हित।
अपना जीवन वारा है।।
समता मूलक दिव्य ज्योति का।
नभ में एक सितारा है।।
ज्ञान दीप के उजियाले से।
जन का कष्ट निवारा है।।
ऐसे प्यारे महापुरुष को।
शत शत नमन हमारा है।।
जिसने जीवन अर्पित करके।
मानव धर्म संवारा है।।
दया भाव से जीवन जीकर।
आदि धर्म विस्तारा है।।
स्वाभिमान का पाठ पढ़ाकर।
सेवा धर्म उकेरा है।।
धर्म नाम पर खुली लूट और।
आडम्बर ना गवारा है।।
सदियों से जकडी बेडी के।
पासों से छुटकारा है।।
ऐसे प्यारे महापुरुष को।
शत शत नमन हमारा है।।
रचनाकार – रामबाबू ज्योति
रामपुरी कालोनी, गुप्तेश्वर रोड, दौसा, राजस्थान ।