श्रद्धावान बनें हम लेकिन, रहें अंधश्रद्धा से दूर।
श्रद्धावान बनें हम लेकिन, रहें अंधश्रद्धा से दूर।
जाँच-परख आचरण की करें, तब श्रद्धालु बनें भरपूर।।
कितने ही ढोंगी पाखण्डी, करते श्रद्धा का दोहन,
उनसे बचें, बचाएँ जग को, कर सकते हैं वे मजबूर।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी