श्रद्धांजलि राहत इंदौरी
***** श्रद्धांजलि राहत इंदौरी ******
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खुदा ने आखिर हम से छीन ली राहत
इंदौरी के रुप में लील ली चाहत
माना जग में आने जाने की रीत बनाई
भला ऐसी भी कोई आती हैं आफत
विशिष्ट अभिव्यक्ति शैली के थे मालिक
स्पष्ट छवि के चले जाने से आहत
दंबगता झलकती थी उनकी जुबान से
सच्चाई कहने में कर देते थे बगावत
सच्चाई कटाक्ष में कहने में थे माहिर
शब्दों के जादूगर करे शाब्दिक शरारत
विश्वभर में डंका बजा था कविताई का
रचना में दिखाई देती उनकी रियाज़त
ईश्वर ने बख्शा था उन्हे अनोखा हुनर
स्वभाव में छिपी हुई थी एक नज़ाकत
इन्दौर की सूनी हो गई हैंं कूचे गलियां
राहत को न मिली सांसों की जमानत
बिन मौसम नैनों में है अश्क बरसात
सब करे बेवक्त चले जाने की वकालत
मनसीरत नम आँखों से दे रहा विदाई
न देखी कभी किसी में ऐसी लियाकत
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)