श्रद्धाँजलि : भूतपूर्व शिक्षक-विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा जी
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श्रद्धाँजलि : भूतपूर्व शिक्षक-विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा जी
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सुंदर लाल इंटर कॉलेज ,रामपुर से आज दिनांक 18 जनवरी 2021 को प्रधानाचार्य श्री संजय जी का फोन आया ” भूतपूर्व शिक्षक-विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा जी की मृत्यु हो गई है । उनको श्रद्धाँजलि-स्वरुप दो मिनट का मौन रखकर छठे पीरियड से विद्यालय की छुट्टी कर दी जाएगी ,ऐसा सोचा है ।”
सुनकर मैं हतप्रभ रह गया । मैंने कहा ” मैं समय से श्रद्धाँजलि-सभा में पहुँच जाऊँगा”।… और मैं 1:30 बजे से पहले ही विद्यालय में था ।
श्री ओम प्रकाश शर्मा जी अभी कुछ दिन पहले ही विधान परिषद का चुनाव लड़े थे । यद्यपि पराजित हुए ,तो भी वह सक्रिय थे तथा भविष्य के प्रति आस्थावान जान पड़ते थे । 1972 से लेकर 2020 तक आप उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शिक्षक- विधायक के रुप में प्रदेश के माध्यमिक शिक्षकों का प्रतिनिधित्व पूरी संघर्षप्रियता के साथ करते रहे। पिछले 48 वर्ष वस्तुतः आपके ही नाम लिखे हुए हैं। आपके ही नेतृत्व में अशासकीय विद्यालयों को सहायता प्राप्त विद्यालयों में बदला गया था और शासकीय अनुदान से अध्यापकों का वेतन सरकारी खजाने से दिया जाना तय हुआ था । मैं श्री ओम प्रकाश शर्मा की संघर्षशीलता को सदैव आदर की दृष्टि से देखता रहा था। विशेष रूप से कोरोना-काल में जब प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की फीस आना बहुत कम हो गई थी तथा अध्यापकों को वेतन कहाँ से दिया जाए ,विद्यालय के खर्चे कैसे पूरे किए जाएँ ?- यह बड़ा संकट उनके सामने उपस्थित हो चुका था ,तब दूसरी ओर सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय इस प्रकार के आर्थिक संकट से पूरी तरह मुक्त थे। यह एक बड़ा भरोसा था जिसके लिए श्री ओम प्रकाश शर्मा को सदैव याद किया जाता रहेगा ।
कुछ महीने पहले मैंने फेसबुक पर भ्रमण करते हुए माध्यमिक शिक्षक संघ, ओम प्रकाश शर्मा जी की पेज का अवलोकन किया था तथा उसका सदस्य बनने के लिए इच्छा प्रकट की । किंतु प्रबंधकों को उसमें सदस्य बनाने की मनाही थी ।अतः मेरा संवाद श्री ओम प्रकाश शर्मा जी से नहीं हो पाया । यह कसक रह गई । वस्तुतः मैं चाहता था कि पिछले 50 वर्षों में शिक्षकों की अब जबकि सभी समस्याओं का समाधान सहायता प्राप्त विद्यालयों में हो चुका है तथा अब शायद ही कोई इक्का-दुक्का समस्या बची होगी जिसका समाधान प्रबंधकों के स्तर से किया जाना शेष हो , तो यह एक नई डगर खोजने का समय था जब प्रबंधक और शिक्षक मिलकर आगे का रास्ता तय करते और सोचते कि परस्पर सद्भाव के वातावरण में किस प्रकार से अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को उन्नति के नए शिखरों का स्पर्श कराया जाए ? किस प्रकार प्रबंधकों की सेवाओं को आदर पूर्वक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए तथा किस प्रकार उनके योगदान का लाभ लिया जाए ? माध्यमिक शिक्षक संघ की इस पूरे क्रियाकलाप में महत्वपूर्ण भूमिका होनी थी।
खैर ,ओम प्रकाश शर्मा जी शिक्षकों की आवाज का सबसे मुखर और प्रखर आयाम रहे थे। उनके न रहने से जो स्थान रिक्त हुआ है ,वह भरा नहीं जा सकता क्योंकि असाधारण रूप से 48 वर्षों तक विधान परिषद में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करते रहना ,एक बड़ी चुनौती को स्वीकार करना तथा उस पर अपने आप को सिद्ध करना यह एक दुर्लभ कार्य होता है जो श्री ओम प्रकाश शर्मा जी ने किया था ।
मैं समय पर विद्यालय पहुँच गया और मैंने अपने मनोभावों को विद्यार्थियों तथा अध्यापकों के सम्मुख अभिव्यक्त किया । मुझे इस बात की बड़ी संतुष्टि रही कि मेरा संवाद तो शर्मा जी से नहीं हो पाया तथा मैं उनके सामने अपने कोई विचार भी नहीं रख पाया लेकिन कम से कम मैं उनकी श्रद्धाँजलि-सभा में अपने हृदयोद्गार -रूपी आदर के फूल उनकी स्मृति में चढ़ाने में सफल रहा । अंत में मैंने तत्काल रचित अपनी एक कविता (कुंडलिया) इस प्रकार पढ़कर सुनाई;-
श्रद्धाँजलि : पूर्व शिक्षक-विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा जी (कुंडलिया)
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गाथा जिनकी बन गई ,शिक्षा और समाज
अर्पित सौ – सौ बार है ,श्रद्धाँजलि है आज
श्रद्धाँजलि है आज ,पाँच दशकों की वाणी
हुआ न कोई और , आपका किंचित सानी
कहते रवि कविराय , उच्च करती है माथा
शिक्षक ओमप्रकाश ,नमन शर्मा की गाथा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451