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20 Jul 2024 · 1 min read

श्रंगार

घने कोहरे की चादर को समेटे हुए।
ठंड की कंपकंपाहट को लपेटे हुए।
प्रिय तुम कहीं छिप तो नहीं गए हो।
उड़ते कुहासे में और हसीन लगते हुए।
विपिन

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