श्रंगार
घने कोहरे की चादर को समेटे हुए।
ठंड की कंपकंपाहट को लपेटे हुए।
प्रिय तुम कहीं छिप तो नहीं गए हो।
उड़ते कुहासे में और हसीन लगते हुए।
विपिन
घने कोहरे की चादर को समेटे हुए।
ठंड की कंपकंपाहट को लपेटे हुए।
प्रिय तुम कहीं छिप तो नहीं गए हो।
उड़ते कुहासे में और हसीन लगते हुए।
विपिन