श्रंगार रस घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी (अनुप्रास अलंकार)
8,8,8,7
गोरे गोरे गाल लाल, गोरी के हैं होंठ लाल,
लाल लाल चूड़ियों की, खनक कमाल है।
साड़ी भी है लाल लाल, पैर महावर लाल,
गोरी तेरे माथे पर, बिंदिया भी लाल है।।
लाल लाल हाँथ की है, मेहंदी भी लाल लाल,
लाल लाल पलकों पे, सुरमा भी लाल है।
लाल लाल जीभा को फिराया लाल होंठों पे तो,
आशिकों के बीच नया, छिड़ता बवाल है।।