श्याम छवि
सरस मत्तगयंद छन्द का आनन्द उठाइए–
श्यामल गात मनोहर है छवि पावन रूप लुभावन लागे ।
नींद पराइ गई अब तो लखि भोर अँजोर सुहावन लागे ।।
दामिनि ज्यों दमकै दँतिया विहसै अवलोकि जगावन लागे ।
मातु हिया हरसै – सरसै दुलराइ कन्हाइ उठावन लागे।।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**