श्याम और राधा (प्रथम बार)
देखत नैना श्याम के, राधा है हरषाय।
ऐसे मंजुल सुमन तो, मानस* भी नहिं पाय॥
****************************
हिरदय में हिलोर रही, प्रेम लहरें अपार।
वृषभानुजा पूछ रही, कान्हा कौन कुमार॥
****************************
मनहर छवि को देखकर, राधा गई लजाय।
मोहन मानो काम सम, धीरज रही गँवाय॥
****************************
अनुपम मेरे श्याम हैं, राधा मोहे रूप।
मेरे भव बंधन तजो, सगरे जग के भूप॥
सोनू हंस
*मानस- मानसरोवर झील