श्यामो
रेखाचित्र
शीर्षक –श्यामो
कल 21को नौ माह की हो जायेगी हमारी श्यामो। गहरी ,बड़ी कज़रारी अँखियाँ ,साँवला तो नहीं कुछ भूरा सा रंग, चंचल ,शोख,शरारती तो है ही ।हद दर्जे की जिद्दी उतनी ही स्नेहिल भी। उसकी नटखट अदायें किसी का भी दिल जीतने की ताकत रखती हैं। शर्त लगा लो अगर एक नज़र उसे देखते ही आप को प्यार न हो जाए।
जब रुठती है तो गर्दन को वो झटका देती है कि कमाल। और जब खुश होती है तो पूरा लाड़ उडेले बिन नहीं मानती।
अगर खाने का मन नहीं है तो बर्तन ही गुस्से में उलट देती है।
और हाँ एक और मजेदार बात ।मैडम जी बासी रोटी को तो छूती ही नहीं।सूंघकर छोड़ देती हैं।जबरदस्ती की तो मुँह में लेकर निकाल देती है।
आप सभी लोग जानना चाह रहे होंगे कौन है वो?है न!!
सब्र तो कीजिए बताती हूँ।
कुछ और भी जान लीजिए भोली श्यामो जी के बारे में।
इनका जन्म भी अद्भुत घटना है। 21मार्च को पता लगा कि यह देवी जी कभी भी आ सकती हैं तो पूरा दिन धन्नो यानि इनकी माँ का ख्याल रखा गया। कुछ जानकार लोगों को बोल भी दिया गया। सब दिन भर चक्कर लगाते रहे ।कुछ देर और,कुछ देर और …करते करते रात के दस बज गये।सभी लोग चले गये इंतजार कर के, यह कह कर कि जब भी जरुरत हो फोन कर देना।
बारह बजे तक जच्चा रानी को सड़क.पर टहलाते रहे। आखिर थक कर उन्हें कमरे में ढीला सा बाँध दिया गया। खाने पीने की व्यवस्था भी कर दी। एक व्यक्ति को आकस्मिक मदद के लिए भी रात को पास में ही रखा।
इंतजार करते करते दो बज गये।पता ही न चला कब
पतिदेव भी सो गये और वह सहायक भी ।
चार बजे करीब पतिदेव की नींद खुली ।सहायक जगा रहा था भाई जी उठिये …।
क्या हुआ
लगता है डिलेवरी हो गयी।
हैं…
जल्दी से गये कमरे में ।जस्ट तभी उजाला हो गया। कुछ देर के लिए शायद बिजली गुल हुई थी।
देखा तो श्यामो देवी आ चुकी थी जमीन पर पड़ी हुई थीं।और उसकी माँ देखने को छटपटा रही थी। जल्दी से मुख्य दरवाजा खोला।
भाग्य से परिचित पत्रकार मॉर्निंग वाक के लिए निकला तो दरवाजे खुले देख अंदर आया।उसे लगा शायद कुछ गडबड़ है।अंदर आकर देखा तो चौंक गया। उसने कहा बच्चे को माँ के सामने लाओ।और गलेसे लटके कैमरे से वीडियो बनानी शुरु कर दी।जिसे उसने न्यूज 24 चैनल पर तीन दिन तक दिखाया भी।
हेश टेग पार्षद जी की गौ सेवा
फिर तो गुड़ भी बाँटा गया ।पड़ौसी किराने वालों ने उस के लिए हल्दी सौठ के लड्डू भी बनबाये।
इस तरह पूरे मुहल्ले की लाडली हो गयी श्यामो। कोई गोद में लेकर खिलाता तो कोई उसके साथ दौड़ लगाता।
एक पड़ौसी नियमित काजू किशमिश छुआरे आदि खिलाता है।
ये श्यामों मेरे हाथ से पिटती भी हैं और फिर शांत सीधे बच्चे की तरह मुँह फुला.कर भी बैठती हैं। ज्यादा लाड़ आता है तो पति देव को देखते ही छलांग मार कर उनकी गोद में चढ़ जाती हैं या पीठ पर चढ़ बैठती हैं। एक गुण और है सामने वाले को देख समझ जाती है कि कौन उससे कमजोर है और कौन ताकतवर।कमजोर को तो पास खड़ा भी न रहने देती भगा देती है। और ताकतवर अगर उसके पास आया तो बड़ी सफाई से साइड से निकल लेती हैं।हहहहहह
तो ये था हमारी श्यामो का परिचय ।श्यामो यानि गाय की बछिया। है न शानदार!!
मनोरमा जैन पाखी