शौर्य गाथा
शौर्य की गाथा सुहानी,
कुछ नई है कुछ पुरानी |
रात दिन कोई पहर हो,
या हिमालय का शिखर हो |
अरि करे ललकार ज्यों ही,
गह लिए हथियार त्यों ही |
शूरवीरों की कहानी,
कुछ नई है कुछ पुरानी || (१)
रक्त से टीका किया है,
मृत्यु में जीवन जिया है |
शीश हाथों पर धरे वो,
शत्रु का मर्दन करे वो |
वार दी अपनी जवानी,
कुछ नई है कुछ पुरानी ||(२)
राष्ट्र हित में तन तपाया,
हिन्द का गौरव बढ़ाया |
वीरता के गीत गायें,
सैनिको को सर झुकायें |
हर कथा है स्वाभिमानी,
कुछ नई है कुछ पुरानी || (३)
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
महम्मदाबाद
उन्नाव उ० प्र०