#शोभा धरतीमात की
🚩 #शोभा धरतीमात की 🚩
सौमित्र ने कहा जो
सब अनसुना किया वो
धर्म अधीन हो लखन
त्रिभुवन में तेरी जय हो
पिताप्रभु एक अनुज
इन्हें जानना नहीं दो
दशरथप्रिया का प्यारा
दुर्युक्तियों से हारा
सब खेल है तुम्हारा
कहती है सरयूधारा
मानस की जात एको
एको जनम मरण सब
पंगत में संग बैठे
एको मरुत वरण सब
मित्रों की एक टोली
एको गुरुचरण सब
निषादराज ने पुकारा
राजन प्रभु से न्यारा
तुम कहे सखा हमारा
कहती है सरयूधारा
मतंग त्रिकालदर्शी बोले
राम आएंगे
हनुमंत मिलाना सुग्रीव बताना
राम आएंगे
चुनचुनकर रखना मीठे फल
राम आएंगे
शबरी वचन हमारा
सुस्वागतम तुम्हारा
खुल जाए गुरु का द्वारा
कहती है सरयूधारा
सत्यवदन अभिलाष रहे
मनुजता की साख रहे
योनियों में श्रेष्ठ मानव
कर्मसुकर्म फल चखे
इस अवतरण में हे राम
कैसे – कैसे ताप सहे
ऋषिकुल दुलारा
वेदज्ञ वेदहत्यारा
मुक्ति चाहता बिचारा
कहती है सरयूधारा
युगों युगों की बात राम
दुर्बुद्धिजनों की घात राम
इक दुर्जन बौराया तब
महल को दीना अपना नाम
विवादित कह ध्वस्त किया
तेरे अपनों ने तेरा धाम
तुम जानत हम दास तुम्हारा
कुटिलताकाट कूटकुठारा
आशीष होवे भूलसुधारा
कहती है सरयूधारा
हे रामेंद्र अनुग्रह कीना
कलिवेला नरेंद्र दीना
उर्मिल कहें कि जानकी
तपत्याग की सुमधुर बीना
ऋणी यशोदा हम तेरे हैं
जीकर सिखलाया तूने जीना
जब-जब नाव मंझधारा
शेष न कोई उपचारा
मातृशक्ति तब-तब उबारा
कहती है सरयूधारा
पौष शुक्ल द्वादशी
चंद्रमृगशिरा अभिजित् योग
भव्य भवन मेरे रामलला
नयना पावें दर्शनभोग
शोभा धरतीमात की
जगती रहे निरोग
पुनः सनातन उजियारा
ग्रहमंडल तक विस्तारा
श्रीगणेश हुआ साधो !
महादेवमन मतवारा
सब कहती सरयूधारा !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२